कम्युनिटी रेडियो ( नाम तो सुना होगा)
वर्ष 2019 में एक तमिल फिल्म आयी थी 'वेल्लिकरण'| वेल्लिकरण का मतलब होता है 'कामगार'| यह फिल्म एक ऐसे लड़के के बारे में थी जो स्लम से आता है जहाँ गरीबी और अपराध चरम पर है| इन बुराइयों को दूर करने के लिए वो जिस हथियार का इस्तेमाल करता है वह है- 'कम्युनिटी रेडियो'| हालाँकि यह फिल्म विशुद्ध कमर्शियल फिल्म थी और इसने काफी मुनाफा भी कमाया लेकिन इस फिल्म की जिस खूबी ने दर्शकों का ध्यान सबसे अधिक खींचा वह थी- कम्युनिटी रेडियो' का इस फिल्म के केंद्र में होना|
कम्युनिटी रेडियो होता क्या है- आप सब ने कभी न कभी रेडियो सुना होगा| आपको याद होगा कि आप रेडियो पर विभिन्न चैनल सुनते थे| आकाशवाणी, रेडियो मिर्ची, विविध भारती आदि| ये रेडियो चैनल मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं|
1 पब्लिक
2. व्यावसायिक यानि कमर्शियल
3.सामुदायिक यानि कम्युनिटी
आकाशवाणी सरकारी रेडियो चैनल है तो रेडियो मिर्ची कमर्शियल | लेकिन जब कोई रेडियो स्टेशन किसी समुदाय द्वारा क्षेत्र विशेष में खोला जाता है तो उसे कम्युनिटी रेडियो स्टेशन कहते हैं|
भारत में 1990 के दशक में कम्युनिटी रेडियो की मांग उठी| 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि हवाई तरंगों पर सबका हक़ होता है| इस तरह पहली बार कम्युनिटी रेडियो स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ| लेकिन शुरुआत में यह अनुमति सिर्फ शैक्षिक संस्थाओं को मिली | भारत में जो पहला सामुदायक रेडियो स्थापित किया गया वह था अन्ना विश्वविद्यालय का अन्ना fm| इसकी स्थापना 2005 में हुई| बाद में भारत में और भी सामुदायिक रेडियो स्थापित हुए और सरकार द्वारा भी इसके दायरे में विस्तार किया गया| जैसे अब सामुदायिक रेडियो खोलने की अनुमति कृषि विश्वविद्यालय, निजी संस्थाओं, गैर सरकारी संस्थाओं को भी प्राप्त है| वर्तमान में देश में 92 से अधिक सामुदायिक रेडियो काम कर रहे हैं|
क्यों महत्वपूर्ण है सामुदायिक रेडियो- कल्पना करें आपके पंचायत में एक ऐसा रेडियो हो जिसपर सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जाए| आपके क्षेत्र में मनरेगा की गतिविधियों पर बात हो, जिसपर आपके स्थानीय कलाकार प्रस्तुति दें, और जिसपर आपको भी अपनी बात कहने का मौका मिले| कितना अच्छा होगा न| वहां आपकी बात होगी, आपकी जरूरतों के हिसाब से कार्यक्रम निर्धारित किये जाएंगे, रोजगार के अवसर मुहैया होंगे और आपके क्षेत्र का विकास हो|
है न दिलचस्प| क्या आप नहीं चाहेंगे कि आपके समुदाय और आपके क्षेत्र का अपना रेडियो हो| तो फिर देर किस बात की | नीचे दिए गए लिंक पर जाकर आप जान सकते हैं कि सामुदायिक रेडियो कैसे स्थापित किये जा सकते हैं|
खास बात यह कि सामुदायिक रेडियो की स्थापना में सरकार भी आर्थिक सहयोग प्रदान करती है|
भारत में कम क्यों हैं सामुदायिक रेडियो स्टेशन- वर्तमान में अमेरिका में चौदह हजार रेडियो स्टेशन हैं, स्पेन में दो हजार रेडियो स्टेशन हैं, इटली, ग्रीस और फ्रांस जैसे छोटे देशों में भी एक हजार रेडियो स्टेशन हैं जबकि भारत में यह आंकड़ा 100 तक भी नहीं पहुंचा है| यहाँ एक बात ध्यान देने की है कि संविधान के जिस अनुच्छेद 19 के तहत हमें अभिव्यक्ति की आजादी मिली है उसके तहत हमें सिर्फ बोलने का नहीं बल्कि सूचना ग्रहण करने की भी आजादी प्राप्त है| ऐसे में सामुदायिक रेडियों को न्यूज़ प्रसारित करने का अधिकार नहीं होना कहीं न कहीं भारत में इनकी प्रसिद्धि कम कर रहा है| एक तरफ तो सरकार सामुदायिक रेडियों को खोलने को प्रोत्साहन दे रही है वहीं दूसरी तरफ उसके अधिकार को सीमित भी कर रही है| ऐसे में जरूरत है कि इस मसले की ओर लोगो का ध्यान जाए|
क्या रेडियों अब भी प्रासंगिक है- हाँ बिल्कुल| जिस तरह से डाटा पैक महंगा होता जा रहा है उस हिसाब से अभी भी गरीब तबके से आने वाली महिलाएं, वृद्ध, बच्चे और वह वर्ग जो इतना सशक्त नहीं है जो हर महीने फोन में डाटा पैक डाल सके| ऐसे लोगो के मनोरंजन और ज्ञानवर्धन के लिए रेडियो अभी भी उपयोगी है| फिर फोन पर हम बस उपभोक्ता की भूमिका निभा सकते हैं लेकिन सामुदायिक रेडियो के लिए आम व्यक्ति उत्पादक और उपभोक्ता दोनों की भूमिका निभा सकता है| स्थानीय कलाकारों, स्थानीय भाषा और अल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अभी भी कम्युनिटी रेडियो ही सबसे सशक्त माध्यम की भूमिका निभा सकता है|
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