हंटा वायरस - क्या वाकई डरना जरूरी है?
पिछले कुछ दशकों के वायरस के रिसर्च ने हमें सिखाया है कि अगर हमें स्वस्थ रहना है तो आस- पास के जानवरों को भी स्वस्थ रखना होगा| 'इबोला' जैसी महामारी तब फ़ैली जब तथाकथित रूप से एक व्यक्ति किसी संक्रमित बन्दर या फल खाने वाले चमगादड़ के संपर्क में आया| 'मर्स' (MERS- MIDDLE EASTERN RESPIRATORY SYNDROM) अरबी देशों में ऊंट द्वारा इंसानों में फैला| कुछ- कुछ वैसा ही है हंटा वायरस जो हमारे आस- पास में बसे रोडेन्टस द्वारा फैलता है| रोडेंट बोले तो आस- पास रहने वाले चूहा, गिलहरी, खरगोश जैसे छोटे जानवर|
ज्यादातर भारतीयों ने इस उपाय पर अमल भी किया और ठीक यहीं शुरू हुआ हंटा वायरस का डर| घर में कैद लोगों के पास वक्त बिताने के लिए था फेसबुक, व्हाट्स एप जैसी सोशल नेटवर्किंग साईट| इन साइटों के जरिये तमाम सही गलत खबरे बड़ी तेजी से घर- घर में पहुँचने लगी| इन्ही में से एक खबर थी हंटा वायरस की|
क्या है हंटा वायरस- हंटा वायरस, कोरोना वायरस की ही तरह एक वायरस परिवार का नाम है| 1933 में सबसे पहले हंटा वायरस की जानकारी US सेंटर फॉर डिसीज कण्ट्रोल द्वारा मिली| यह इंसानों में इंसानों द्वारा नहीं बल्कि रोडेंटस द्वारा फैलता है| यानि सरल शब्दों में समझे तो अगर किसी चूहें में हंटा वायरस का संक्रमण है तो उसके मल- मूत्र द्वारा या फिर उसके किसी भी तरह इंसानों से संपर्क द्वारा यह इंसानों को हो सकता है|
US और कनाडा में सिन नोम्बेर हंटा वायरस के फैलने का सबसे बड़ा कारण डियर माउस है| वाइट फूटेड माउस और कॉटन रैट भी अलग- अलग हंटा वायरस फैलने का कारण है|
दक्षिण अमरीकी महादेश में 'न्यू वर्ल्ड हंटा वायरस, हंटा वायरस पुलिमनारी सिंड्रोम ( HPS) नामक बीमारी का सबसे बड़ा कारण है| HPS भी MERS और SERS की तरह सांस की तकलीफ से जुडी बीमारी है| HPS जानलेवा भी हो सकती है और इससे पीड़ित दस में से चार लोग नहीं बच पाते| COVID-19 की तरह इस वायरस का भी कोई इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है| 1933 में पहचान के बावजूद वर्ष 2020 तक यह घातक बना हुआ है|
क्या हैं लक्षण- हंटा वायरस से संक्रमण के लगभग 2 से 8 हफ्ते तक कोई लक्षण नजर नहीं आता है| संक्रमण के बाद भी इसके लक्षण सामान्य सर्दी जुकाम, बुखार, मांसपेशियों में दर्द, पेट सम्बन्धी बीमारियाँ, डायरिया आदि होते हैं|
अब तक आये मामले- वर्ष 2012 में योसेमिते नेशनल पार्क ( US) में दो लोगो को हंटा वायरस की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी थी| US CDS को अंदेशा था कि इस पार्क में जाने वाले 10,000 लोगो को इसका संक्रमण हुआ होगा| हालाँकि ऐसी कोई बात नहीं थी| उसी वर्ष कोलंबिया यूनिवर्सिटी में 133 मैनहट्टन चूहों के डीएनए की जांच की गयी और उनसे होने वाली बिमारियों पर शोध कार्य को आगे बढाया गया| 2012 में काढला फ़र्थ की टीम द्वारा किया गया रिसर्च से निकली जानकारियां हैरत में डालती हैं| इस रिसर्च में इस बात का जिक्र किया गया कि जहाँ कई बीमारियाँ बैक्टीरिया जैसे इ. कोली और और सल्मोनेलिया से हुई थी वहीं कुछ बीमारियाँ कई अनजान वायरस की वजह से हुई थी| केवल 133 चूहों के अध्ययन से ऐसे कुल 18 अज्ञात वायरस के बारे में पता चला जो इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं|
भारत में भी 'हंटा वायरस' की घटना नयी नहीं है| 2011 में आंध्र प्रदेश के करीम नगर का एक 52 वर्षीय शख्स इसकी चपेट में आ चुका था| स्थिति काफी नाजुक होने के बाद वेंटीलेटर और ऑक्सीजन थेरेपी देकर उसकी जान बचाई गयी| इस एक केस से और कई तथ्य सामने आये | 2017 में US के वाशिंगटन में 5 लोगों में हंटा वायरस फैला जिनमे तीन लोगो की मौत हो गयी| वहां dear माउस से यह वायरस फैला था| ऐसे अन्य मामले US में 2014 और 2015 में भी सामने आये थें|
अर्जेन्टीना के पैनटेनगोनिया में 2019 के शुरुआती दिनों में हंटा वायरस से नौ लोगो की मौत हो गयी| अक्टूबर 2018 से जनवरी 2019 के बीच वहां हंटा वायरस के 60 मामले सामने आये जिनमे 50 लोगो को क्वारंटाइन किया गया| विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके 'डेडली आउटब्रेक' होने की चेतावनी भी दी थी|
तो क्या हमें डरना चाहिए- मौजूदा दौर में कोरोना वायरस के साथ- साथ अन्य वायरस से भी सावधान रहने की जरूरत है| अब ऐसा कुछ तो है नहीं कि जहाँ कोरोना वायरस पहुँच गया वह हंटा वायरस नहीं पहुंचेगा| बाकायदा यह जरूर हो सकता है की आसमान से गिरे तो खजूर पर अटके| फिर भारत में यह मामला पहले भी जाहिर हो चुका है| इसलिए यह बहुत जरूरी है कि घर में रहें तो वहां भी सुरक्षित रहें|
क्यों न ऐसा करें कि 21 दिन के लॉक down का उपयोग घर और आस- पास की स्वच्छता में करे| अपने साथ, अपने परिवेश, पालतू पशुओं आदि के भी स्वास्थ्य का ध्यान रखें| चूहों, छूछून्दर जैसे छोटे रोडेंटस से सुरक्षित दूरी बनाए रखे| इस बात का ध्यान रखें कि जागरूकता और स्वच्छता ही हमारे स्वास्थ्य का रक्षक है|
( लेखक- आफताब अंसारी, शोधार्थी, तेजपुर विश्वविद्यालय)




Badhiya
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