अमीना की साइकिल और ब्लड ग्रुप
यूं तो मोहल्ले में लगभग एक ही उम्र के पांच बच्चे थे लेकिन पहली साइकिल अमीना के पास आयी| अमीना के अब्बू जब दुबई से लौटे तो उसके लिए चमकते नीले रंग की साइकिल जिस पर ड्रीम गर्ल लिखा था लिए लौटे| अब्बू के हाथ से साइकिल की चाभी लेते हुए अमीना के हथेलियाँ थरथरा रही थी| 'इतनी सुन्दर साइकिल? मैं चलाऊँगी?' उसने अचरज से पूछा| 'उफ्फ, गलती हो गयी अम्मू, मुझे खराब साइकिल लानी चाहिए थी क्या? अब्बू ने हँसते हुए अमीना का माथा सहलाया| 'नहीं,बिलकुल नहीं| मैं अभी अपने सारे दोस्तों को साइकिल दिखा कर लाती हूँ' अमीना चहकी| ' ओये अमीना की बच्ची, खबरदार जो साइकिल लेकर बाहर निकली तो| इतनी तेज़ धूप है, लू लग गयी तो? शाम होने दो, तब अब्बू के साथ ही साइकिल लेकर निकलना' अम्मी ने अमीना को समझाया| 'जी अम्मी जी' अमीना ने हामी तो भरी लेकिन दोपहर में जब सारे जने सो गए तो अमीना साइकिल लिए मोहल्ले में निकली| सिद्धू, बबलू, मीना, रोहन सभी उसके ही इन्तजार में थे| पहले तो सब ने एक एक कर साइकिल को छू कर देखा फिर ट्रायल की बारी आयी| सिद्धू ने बड़ी हिम्मत दिखाई लेकिन तीन पैडल के बाद लुढक गया...